मेरे स्नेही जन

Saturday, April 13, 2013

बादल



भीगा वर्षा में जब राजू
आकर माँ से बोला
माँ ! एक बात बतलाओ
क्या है राज मुझे समझाओ
उमड़ घुमड़ कर बादल आते
झम-झम पानी वे बरसाते
कहाँ से आते बादल, माँ !
कहाँ जा छिप जाते ?
वर्षा से आँगन भर जाता
इतना पानी कहाँ से आता
क्या है राज मुझे समझाओ
क्या है बात मुझे बतलाओ
माँ ने बेटे को बतलाया
राज बादल का उसे समझाया
सूरज जब गरमी फैलाता
नदी ,सागर का पानी
तब भाप बन उड़ जाते
और नभ पर जा छा जाते
असंख्य जल बूँद लिए वे
इधर उधर मड़राते
यही तो बादल कहलाते
उमड़ घुमड़ कर जब वो चलते
जा पर्वत से टकराते
तब बनकर वर्षा वे
वापस धरती पर आजाते
इसी तरह धरती का पानी
वापस धरती पर आजाता
रिम-झिम गीत सुनाकर
जग में खुशहाली भर जाता
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महेश्वरी कनेरी