सरदी आई ,सरदी आई
ठंडी ने कहर बरसाई
मम्मी कहती स्वेटर पहनो
शाम से पहले घर पहुचो
कैसी मुसीबत है भाई
सरदी आई, सरदी आई
पहाडो ने फिर ओढी चादर
बर्फ की वो झिल-मिल झालर
सर्द हवा ने ली अंगड़ाई
सरदी आई सरदी आई……
धूप थकी सी आती है
कभी बादल में छुप जाती है
लुक्का छुप्पी हमें न भाई
सरदी आई ,सरदी आई……
दिन छोटे और लम्बी रातें
भूल जाओ अब खेल की बातें
नही छूटती अब रजाई
सरदी आई सरदी आई……
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महेश्वरी कनेरी